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शनिवार, 4 दिसंबर 2010

bachche hain phool

[गूगल से साभार ] 

फूल के जैसे प्यारे होते,फूल के जैसे कोमल.
मिलकर इनसे खिल जाता है मेरे जीवन का हर पल,
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फूल की भांति सुगंध बिखेरें फूल की भांति हँसते,
फूल की भांति प्यार दिखाकर सबसे खुश हो मिलते.
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बच्चों आप के बारे में ही कहूं मैं मन से हंसकर,
आप आयें तो आती हैं खुशियाँ सबके घर-घर.

5 टिप्‍पणियां:

Shikha Kaushik ने कहा…

aapki bal kavita ati pyari lagi .best of luck .

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सुन्दर सन्देस देती हुई चित्रमयी रचना बहुत बढ़िया रही!

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

vaah....lazawaab.....

बेनामी ने कहा…

आपकी पोस्ट की रचनात्मक सौमयता को देखते हुए इसे आज के चर्चा मंमच पर सजाया गया है!
http://charchamanch.uchcharan.com/2010/12/369.html

बेनामी ने कहा…

आपकी पोस्ट की रचनात्मक सौम्यता को देखते हुए इसे आज के चर्चा मंमच पर सजाया गया है!
http://charchamanch.uchcharan.com/2010/12/369.html