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रविवार, 22 जून 2014

तिरंगे की शान निराली

       

काम पप्पा ने कितना  चंगा किया ,
लाकर मुझको ये प्यारा तिरंगा  दिया !

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इस तिरंगे की शान निराली बड़ी ,
इसको छत पर फहराने की हसरत चढ़ी ,
                                                     वानर दल से मैंने  पंगा लिया !
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जब फहरता है ताली बजाता  हूँ मैं ,
मम्मी-पप्पा को पास बुलाता हूँ मैं ,
मैंने अब न कोई भी दंगा किया !

   

        शिखा कौशिक 'नूतन '

रविवार, 1 जून 2014

चुनमुन गिलहरी


एक गिलहरी प्यारी-प्यारी
नाम है उसका चुनमुन
सुबह सुबह उठ  जाती  है वो
फुदकती    फिरती वन वन 
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एक रोज वो फुदक रही थी
देखा उसने बाज
थर थर कांपी  जोर से  
हालत हुई ख़राब
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फिर भी उसने जोर से
सबको दी आवाज  
यहाँ नहीं आना कोई
पेड़ पे बैठा बाज
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तभी एक बन्दर आया
जोर से पेड़ हिलाया
पेड़ के हिलते ही
बाज बहुत घबराया
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बाज वहां से भाग लिया
तो बन्दर भी मुस्काया
चुनमुन ने ली साँस चैन की
बड़ा मजा था आया.
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शिखा कौशिक 'नूतन '