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सोमवार, 16 मार्च 2015

एक गिलहरी ..



[गूगल से साभार ]




एक गिलहरी ..नाम था लहरी 
चली घूमने मेले में .

संग सहेली ...करें ठिठोली 
धूम मचाती मस्ती में .

माँ ने रोका .....उसको टोका 
कहाँ चली  तुम सर्दी में ?

सुनकर लहरी ...थोडा ठहरी  
फिर वह बोली ..जल्दी में 

टोपी-मफलर और स्वेटर 
कौन पड़े  झमेले में ?

ये कह माँ से ...निकली घर से 
पहुंची फिर वह मेले में .

मेला घूमा ...झूला-झूला 
लिए खिलौने थैले में .

फिर घर पहुंची ...जोर से छीकी 
घुस गयी जाकर बिस्तर में .

माँ ने सिर पर हाथ फिराया 
काढ़ा उसको गर्म पिलाया 
खो गयी फिर वह सपनों में .

सारी सर्दी दूर थी भागी  
लहरी ने फिर माफ़ी मांगी 
फिर वह उछली ..घर भर में .

एक गिलहरी ...नाम था लहरी .

                              
                                               शिखा कौशिक 

मंगलवार, 3 फ़रवरी 2015

चूहे


टॉमी -जॉनी 
दो चूहे थे टॉमी-जॉनी 
हर पल करते थे शैतानी;
कभी किसी के कपडे काटें 
कभी वो रोटी लेकर भागें ;
एक दिन आ गयी बिल्ली रानी 
दोनों को हो गयी परेशानी ;
कैसे इससे जान बचाएं ?
कैसे फिर से धूम मचाएं ?
इतने में आ गया गृह स्वामी ;
भागी देख के बिल्ली रानी ,
चूहों ने फिर मन में ठानी 
नहीं करेंगे अब मनमानी ;
गृह स्वामी ने हमें बचाया 
हमको है अहसान चुकाना 
कपडा-कागज न काटेंगे 
रोटी लेकर न भागेंगे ;
अनुशासन से यहाँ रहेंगे 
अच्छा हमको सभी कहेंगे .
                          शिखा कौशिक